मेरे कार्टून ब्लॉग पाठकों के लिए हैं पर इनमें दी गयी सामग्री कुछ लोग अपने प्रकाशनों में बिना पूछे उपयोग कर लेते हैं और उन्हें शर्म भी नहीं आती।
कार्टूनपन्ना (sulekha.com) में प्रदर्शित कई कार्टून चुराकर भारत के हिन्दी समाचार चैनल सीएनईबी ने अपने एक कार्यक्रम की पृष्ठभूमि में उपयोग किया, वह भी मनमाने ढंग से फ़ेरबदल करके। इस बारे में बारबार लिखने-सम्पर्क करने पर भी कोई लाभ नहीं हुआ। महीनों बाद जब इण्टरनेट पर मैंने लिखा और काफ़ी लोगों को ई-मेल भेजे तब चैनल के मुखिया का एक सन्देश आया जिसमें खेद व्यक्त किया गया था और मेहनताने/क्षतिपूर्ति के रूप में धन भेजने को कहा था।
इस बात को भी कई माह बीत चुके हैं। यह हाल है आर्थिक रूप से सम्पन्न टीवी चैनल का जो अपने कर्म्चारियों को लाखो रुपये वेतन दे देता है, विज्ञापन आदि से कमाता भी है। साथ ही और भी व्यवसाय होंगे। मगर कार्टून चुराकर उपयोग करना ठीक लगता है। किसी रचनाकार की रचना का बिना अनुमति उपयोग करने मे जरा भी शर्म नहीं आती। ऐसा ही एक और उदाहरण है- मध्य प्रदेश से प्रकाशित होने वाले रंगीन हिन्दी दैनिक पीपुल्स समाचार का, इसमें भी मेरा एक कार्टून चुराकर छापा गया। कई बार पत्र लिखने पर भी चुप्पी छाई हुई है।
कार्टून चोरी (दखलंदाजी में प्रकशित १७.०५.१०)
यहां दिया मेरा बनाया एक कार्टून मध्य प्रदेश से प्रकाशित हो रहे हिन्दी दैनिक अखबार पीपुल्स समाचार ने थोड़ा-सा बदलाव करके अपने कॉलम गुगली में (नीचे दिया लिन्क http://cartoonistchander.blogspot.com हटा कर) १५ मई २०१० को पृष्ठ ४ पर बिना अनुमति/बिना सूचना छाप दिया। यह गुस्ताखीमाफ़ में नियमित रूप से छपने वाले मेरे कार्टूनों में से एक है।
सम्पन्न-समर्थ होने पर भी मुफ़्त का माल उपयोग करने की प्रवृत्ति निन्दनीय है और किसी भी रचनाकार के अधिकारों का हनन तथा कॉपीराइट का उल्लंघन है।
• चन्दर
देखें- १. छपा कार्टून २. मूल कार्टून (बड़े आकार में देखने के लिए छवियों पर क्लिक करें)
कार्टूनपन्ना (sulekha.com) में प्रदर्शित कई कार्टून चुराकर भारत के हिन्दी समाचार चैनल सीएनईबी ने अपने एक कार्यक्रम की पृष्ठभूमि में उपयोग किया, वह भी मनमाने ढंग से फ़ेरबदल करके। इस बारे में बारबार लिखने-सम्पर्क करने पर भी कोई लाभ नहीं हुआ। महीनों बाद जब इण्टरनेट पर मैंने लिखा और काफ़ी लोगों को ई-मेल भेजे तब चैनल के मुखिया का एक सन्देश आया जिसमें खेद व्यक्त किया गया था और मेहनताने/क्षतिपूर्ति के रूप में धन भेजने को कहा था।
इस बात को भी कई माह बीत चुके हैं। यह हाल है आर्थिक रूप से सम्पन्न टीवी चैनल का जो अपने कर्म्चारियों को लाखो रुपये वेतन दे देता है, विज्ञापन आदि से कमाता भी है। साथ ही और भी व्यवसाय होंगे। मगर कार्टून चुराकर उपयोग करना ठीक लगता है। किसी रचनाकार की रचना का बिना अनुमति उपयोग करने मे जरा भी शर्म नहीं आती। ऐसा ही एक और उदाहरण है- मध्य प्रदेश से प्रकाशित होने वाले रंगीन हिन्दी दैनिक पीपुल्स समाचार का, इसमें भी मेरा एक कार्टून चुराकर छापा गया। कई बार पत्र लिखने पर भी चुप्पी छाई हुई है।
चित्र : हिन्दी समाचार टीवी चैनल सीएनईबी में चुराए कार्टूनों की पृष्ठभूमि
हिन्दी दैनिक पीपुल्स समाचार छपा में छपा चोरी का कार्टूनकार्टून चोरी (दखलंदाजी में प्रकशित १७.०५.१०)
यहां दिया मेरा बनाया एक कार्टून मध्य प्रदेश से प्रकाशित हो रहे हिन्दी दैनिक अखबार पीपुल्स समाचार ने थोड़ा-सा बदलाव करके अपने कॉलम गुगली में (नीचे दिया लिन्क http://cartoonistchander.blogspot.com हटा कर) १५ मई २०१० को पृष्ठ ४ पर बिना अनुमति/बिना सूचना छाप दिया। यह गुस्ताखीमाफ़ में नियमित रूप से छपने वाले मेरे कार्टूनों में से एक है।
सम्पन्न-समर्थ होने पर भी मुफ़्त का माल उपयोग करने की प्रवृत्ति निन्दनीय है और किसी भी रचनाकार के अधिकारों का हनन तथा कॉपीराइट का उल्लंघन है।
• चन्दर
देखें- १. छपा कार्टून २. मूल कार्टून (बड़े आकार में देखने के लिए छवियों पर क्लिक करें)